कृषि सलाह
सोयाबीन कृषकों के लिए उपयोगी सलाह –निम्नानुसार सुरक्षात्मक उपाय अपनाकर कीट/रोगों से होने वाले नुकसान से अपनी फसल को बचाएं –
सुरक्षात्मक उपाय
1 – तम्बाकू की इल्ली एवं चने की इल्लियों के नियंत्रण हेतु बाजार में उपलब्ध कीट-विशेष फेरोमोन ट्रैप या प्रकाश प्रपंच लगाएं , इनके सेप्टा लगाने से पूर्व अपने हाथ स्वच्छ है ,यह सुनिश्चित करें। इसके साथ- साथ एन.पी.वी. (250 एल.ई) का छिडकाव भी किया जा सकता है।
2 – जैविक सोयाबीन उत्पादन करने वाले कृषकों को सलाह है कि पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर, तम्बाकू की इल्ली ) से फसल की सुरक्षा एवं प्रारंभिक अवस्था में ही रोकथाम हेतु बेसिलस थुरिन्जिएन्सिस अथवा ब्युवेरिया बेसिआना या नोमुरिया रिलेयी (1.0 ली./हेक्टे) का छिडकाव करें।
3 -कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा इल्लियों को खाने से होने वाले नियंत्रण को और सुविधाजनक बनाने हेतु सोयाबीन फसल में पक्षियों की बैठने हेतु “T” आकार के बर्ड-पर्चेस लगाएं , इससे कीट-भक्षी पक्षियों द्वारा भी इल्लियों की संख्या कम करने में सहायता मिलती है।
4 वायरस जनित पीला मोज़ेक/सोयाबीन मोजेक रोगों से सुरक्षा हेतु इन रोगों को फैलाने वाले रस चूसक कीट सफ़ेद मक्खी/जासिड के नियंत्रण के लिए अपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।
5 -अपने खेत की नियमित निगरानी करें एवं खेत में जाकर 3-4 स्थानों के पौधों को हिलाकर सुनिश्चित करें कि क्या आपके खेत में किसी इल्ली/कीट का प्रकोप हुआ है या नहीं और यदि है , तो कीड़ों की अवस्था क्या है ? तदनुसार उनके नियंत्रण के उपाय अपनाएं।
6 – सोयाबीन की फसल घनी होने पर चक्र भृंग का प्रकोप अधिक होने की सम्भावना होती है. इसके लिएप्रारंभिक अवस्था में ही (एक सप्ताह के अन्दर) दो रिंग दिखाई देने वाली ऐसी मुरझाई/लटकी हुई ग्रसित पत्तियों को तने से तोड़कर जला दे या खेत से बाहर करें।
7 – कई क्षेत्रों में अत्यधिक वर्षा होने की सूचनाएं प्राप्त हुई हैं, कृषकों को सलाह है कि जलभराव से होने वाले नुकसान से सोयाबीन फसल को बचाने हेतु अतिरिक्त जल-निकासी सुनिश्चित करें।
8 – अपने खेतों में चूहें के नियंत्रण के उपाय अपनाएं इसके लिए अनुशंसित फ्लोकोउमाफेन 0.005%ब्लाक बेट (Strom) 15-20 बेट प्रति हेक्टेयर की दर से चूहों द्वारा बनाये गए छेदों के आसपास रखें।
कीट/रोग/खरपतवार नियंत्रण हेतु सलाह
1 – कीट एवं रोगों से फसल सुरक्षा हेतु उपयुक्त रसायनों का छिडकाव किया जाना चाहिए, भले ही सोयाबीन फसल फूल आने की अवस्था में हो
3 – लगातार बारिश होने वाले क्षेत्रों में एन्थ्राक्नोज नामक फफूंदजनित रोग के लक्षण दिखाई देने पर सलाह है कि नियंत्रण हेतु शीघ्रातिशीघ्र टेबूकोनाजोल 25.9 ई.सी. (625 मिली/हे) या टेबूकोनाझोल 10%+सल्फर 65%WG (1250 ग्राम/हे) जैसे अनुशंसित फफूंदनाशकों का अपने फसल पर छिडकाव करें।
4 – इसी प्रकार कुछ क्षेत्रों में रायजोक्टोनिया एरिअल ब्लाइट नामक फफूंदजनित रोग के लक्षण दिखाई देने पर सलाह है कि नियंत्रण हेतु अनुशंसित फफूंदनाशक पायरोक्लोस्ट्रोबीन 20% WG (375-500 ग्रा/हे) फफूंदनाशकों का अपने फसल पर छिडकाव करें।
5 – पीला मोज़ेक/सोयाबीन मोज़ेक रोग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि तत्काल रोगग्रस्त पौधों को खेत से उखाड़कर निष्कासित करें तथा इन रोगों को फ़ैलाने वाले वाहक सफ़ेद मक्ख/एफिड की रोकथाम हेतु एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) का छिडकाव करें। इसके स्थान पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक थायोमिथोक्सम + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन (125मिली/हे) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/हे) का भी छिडकाव किया जा सकता हैं। इनके छिड़काव से तना मक्खी का भी नियंत्रण किया जा सकता ह। यह भी सलाह है कि सफ़ेद मक्खी के नियंत्रण हेत कृषकगणअपने खेत में विभिन्न स्थानों पर पीला स्टिकी ट्रैप लगाएं।
6 – चक्र भृंग के नियंत्रण हेतु सलाह है कि प्रारंभिक अवस्था में ही आइसोसायक्लोसरम 9.2% W/W Dc(10% W/V) DC (600 मिली/हे) या एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी. (250-300 मिली/हे) या थायक्लोप्रिड 21.7 एस.सी. (750 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी (1 ली./है) या इमामेक्टीन बेन्जोएट (425 मिली/ है ) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल18.5 एस.सी 18.50 % SC (150 मिली/हे) का छिड़काव करें। यह भी सलाह दी जाती है कि इसके फैलाव की रोकथाम हेतु प्रारंभिक अवस्था में ही पौधे के ग्रसित भाग को तोड़कर नष्ट कर दें।
7 -बिहार हेयरी कैटरपिलर के नियंत्रण हेतु सलाह है कि प्रारंभिक अवस्था में ही झुण्ड में रहने वाली इन इल्लियों को पौधे सहित खेत से निष्कासित करें एवं फसल पर लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 04.90 % CS (300 मिली/हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.80 % EC (333 मिली/हे.) छिडकाव करें।
8 – अगले एक माह तक पत्ती खाने वाले कीटों से सुरक्षा हेतु 15-20 दिन की फसल में या फूल आने से पूर्व तक की समयावधि में क्लोरइंट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी. (150 मिली/हे) का छिडकाव करें. इससे अगले 30 दिनों तक पर्णभक्षी कीटों से सुरक्षा मिलेगी।
9 – तना मक्खी के नियंत्रण हेतु सलाह है कि लक्षण दिखाई देने पर पूर्वमिश्रित कीटनाशक आइसोसायक्लोसरम 9.2 WW.DC (10% W/V) DC (600 मिली/हे.) या थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 ई.सी. (333 मि.ली.) का छिड़काव करें।
10 – जहाँ पर एक साथ पत्ती खाने वाली इल्लियों (सेमीलूपर/तम्बाकू/चने की इल्ली) तथा रस चूसने वाले कीट जैसे सफ़ेद मक्खी/जसीड एवं तना छेदक कीट (तना मक्खी/चक्र भृंग) प्रकोप हो, इनके नियंत्रण हेतु पूर्व मिश्रित कीटनाशक जैसे क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 + लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (200 मिली./हे.) या थायोमिथोक्सम 12.60%+लैम्ब्डा सायहेलोथ्रिन 09.50% जेड.सी. (125 मिली./हे.) या बीटासायफ्लुथ्रिन+इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली./हे.) का छिडकाव करें।
11 – जहाँ पर तीनों प्रकार की पत्ती खाने वाली इल्लियाँ हो, इनके एक साथ नियंत्रण के लिए निम्न में से किसी भी एक रसायन का छिडकाव करें : एसिटेमीप्रीड 25%+बायफेंथ्रिन 25%WG (250ग्रा./हे) या ब्रोफ्लानिलाइड 300 g/l एस.सी. (42-62 ग्राम/हे), या फ्लूबेंडियामाइड 39.35 एस.सी (150 मि.ली.) या इंडोक्साकार्ब 15.8 एस. सी (333 मि.ली/हे ), या टेट्रानिलिप्रोल 18.18 एस.सी., (250- 300मिली/हे) या नोवाल्युरोन + इन्डोक्साकार्ब 04.50 % एस. सी. (825-875 मिली/हे) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 18.5 एस.सी, (150 मि.ली./हे ) या इमामेक्टिन बेंजोएट 01.90 (425 मि.ली./हे), या फ्लूबेंडियामाइड 20 डब्ल्यू.जी (250-300 ग्राम/हे) या लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.90सी. एस. (300 मिली/हे) या प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी.(1 ली/हे) या स्पायनेटोरम 11.7 एस.सी (450 मिली/हे), या पूर्वमिश्रित बीटासायफ्लुथ्रिन + इमिडाक्लोप्रिड (350 मिली/है) या पूर्वमिश्रित थायमिथोक्सम़ + लैम्बडा सायहेलोथ्रिन (125 मिली./है) या क्लोरएन्ट्रानिलिप्रोल 09.30 % +लैम्बडा सायहेलोथ्रिन 04.60 % ZC, (200 मिली/हे) का छिडकाव करें।
12 – वर्तमान में सोयाबीन फसल लगभग 30-45 दिनों की हो गई है. इस स्थिति को ध्यान में रखते हुए अब खरपतवार नियंत्रण हेतु केवल हाथ से निंदाई किये जाने की सलाह दी जाती है।
सामान्य सलाह
1 सोयाबीन फसल पर पौध संरक्षण के लिए अनुशंसित रसायनों (कीटनाशक/फफूंद नाशक) के छिडकाव में पर्याप्त पानी की मात्रा(नेप्सेक स्प्रयेर या ट्रेक्टर चालित स्प्रयेर से 450 लीटर/हे पॉवर स्प्रेयर से 125 लीटर/हे न्यूनतम) का उपयोग करें।
2 – कीट एवं रोगों से फसल सुरक्षा हेतु उपयुक्त रसायनों का छिडकाव किया जाना चाहिए, भले ही सोयाबीन फसल फूल आने की अवस्था में हो।
3 – किसी भी प्रकार का कृषि-आदान क्रय करते समय दुकानदार से हमेशा पक्का बिल लें जिस पर बैच नंबर एवं एक्सपायरी दिनांक स्पष्ट लिखा हो।
4 -ऐसे रसायन (कीटनाशक/खरपतवारनाशक/फफूंदनाशक) जो सोयाबीन फसल में उपयोग हेतु भारत सरकार के केंद्रीय कीटनाशक बोर्ड द्वारा जारी सूची में शामिल नहीं है , उपयोग नहीं करें।
5 -जिन रसायनों (कीटनाशक/खरपतवारनाशक/फफूंदनाशक) के मिश्रित उपयोग की वैज्ञानिक अनुशंसा या पूर्व अनुभव नहीं है, ऐसे मिश्रण का उपयोग कदापि नहीं करें। इससे फ़सल को नुकसान हो सकता है
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चने की फसल फली बनने की अवस्था में है, फली छेदक कीट का आक्रमण हो सकता है, स्प्रे करें
संक्रमण के प्रारंभिक चरण में इंडोक्साकार्ब 14.5% एससी @ 12-15 मिली/पंप। पूरी तरह से पकी तोरिया की कटाई करें या
सरसों की फसल.
➢ मालवा पठारी क्षेत्र में सब्जियों में खरपतवार हटाने के लिए अंतरकृषि क्रियाएं शुरू करें। गेहूं की फसल में यदि
दीमक के लक्षण दिखाई दे रहे हैं तो क्लोरपायरीफॉस 20 ईसी @ 2 लीटर के साथ 20 किलोग्राम रेत का मिश्रण डालें।
शाम के समय और बाद में सिंचाई करें।
जल्दी बोये गये चने को समय पर पकाकर खलिहान में उचित नमी स्तर पर सुखाकर गहाई कर लें। को
मिर्च में रस चूसने वाले कीट के नियंत्रण के लिए थियामेथोक्सम 7 ग्राम/पंप (0.45-0.5 ग्राम/लीटर) की दर से छिड़काव करें। शूटिंग को नियंत्रित करने के लिए और
टमाटर, बैंगन, मिर्च और भिंडी में फल छेदक कीट के लिए इमामेक्टिन बेंजोएट 10 मि.ली./पंप का छिड़काव करें।
➢ निमाड़ घाटी क्षेत्र में कद्दूवर्गीय पौधों के कीटों के प्रबंधन के लिए नीम का तेल 2 मिली/लीटर पानी की दर से छिड़काव करें।
➢ बुन्देलखण्ड क्षेत्र में टमाटर, बैंगन, मिर्च एवं फूलगोभी की रोपाई मुख्य खेतों में प्रारम्भ कर करें।
सिंचाई। भिंडी की बुआई करें और बुआई से पहले बीजों को रात भर भिगोया जा सकता है (12-14)।
घंटे) बाविस्टिन के घोल में (@ 2 मि.ली./लीटर पानी)।
➢ ग्रिड जोन, फूलगोभी और पत्तागोभी में एफिड्स की संभावना हो सकती है, 1.5 से 2.0 लीटर नीम तेल का छिड़काव करें
(आजादी रकीतीन) 500 से 600 लीटर पानी में प्रति हेक्टेयर। ग्रीष्मकालीन सब्जियों की रोपाई के लिए नर्सरी तैयार करें
जैसे मिर्च, टमाटर और बैंगन आदि.
पशुधन
को किलनी और जूँ से बचाने
के लिए पशुओं के पूरे शरीर पर मैलाथियान/क्लीनर/ब्यूटॉक्स 2 मिली/लीटर पानी का उपयोग करें। दवा लगाने के बाद पशुओं के
मुंह पर मुशिका बांधें।
1. बीज
- ऐसी किस्मों का पता लगाना जो जैविक (खरपतवार, कीट-फतंगा और रोग) और अजैविक (सूखा, गर्मी) प्रतिरोधी हों ।
- 2 से अधिक किस्मों के पौधे लगाएं (वैराइटी कैफेटेरिया दृष्टिकोण) ।
- बरसात के शुरु होने से पहले अंकुरण के लिए बीज का परीक्षण करें ।
- 3 से अधिक मौसमों के लिए बीज का दोबारा प्रयोग न करें।
- ट्राइकोडर्माविराइड 5 ग्राम/किलोग्राम बीज की पोटेंट कलचर के साथ, ब्रैडी राइजोबियम जैपोनिकम और पीएसबी/पीएसएम, दोनों को 5 ग्राम/किलोग्राम बीज पर इनोकुलेट किया गया ।
- ऐसी किस्मों का पता लगाना जो जैविक (खरपतवार, कीट-फतंगा और रोग) और अजैविक (सूखा, गर्मी) प्रतिरोधी हों ।
- 2 से अधिक किस्मों के पौधे लगाएं (वैराइटी कैफेटेरिया दृष्टिकोण) ।
- बरसात के शुरु होने से पहले अंकुरण के लिए बीज का परीक्षण करें ।
- 3 से अधिक मौसमों के लिए बीज का दोबारा प्रयोग न करें।
- ट्राइकोडर्माविराइड 5 ग्राम/किलोग्राम बीज की पोटेंट कलचर के साथ, ब्रैडी राइजोबियम जैपोनिकम और पीएसबी/पीएसएम, दोनों को 5 ग्राम/किलोग्राम बीज पर इनोकुलेट किया गया ।
2. उर्वरकों का उपयोग
- पोषक तत्वों के आवश्यक स्तर को सही स्रोतों के माध्यम से सही समय और सही जगह पर उपयोग करें
- जैविक खाद और पुरानी/अच्छी तरह से कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करें ।
- खड़ी फसल में किसी तरह की कोई भी नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक न डालें।
- उर्वरकों को सूखी, साफ और उपर से ढ़की हुई जगह (शेल्टर) पर रखें।
- पोषक तत्वों के आवश्यक स्तर को सही स्रोतों के माध्यम से सही समय और सही जगह पर उपयोग करें
- जैविक खाद और पुरानी/अच्छी तरह से कम्पोस्ट खाद का प्रयोग करें ।
- खड़ी फसल में किसी तरह की कोई भी नाइट्रोजनयुक्त उर्वरक न डालें।
- उर्वरकों को सूखी, साफ और उपर से ढ़की हुई जगह (शेल्टर) पर रखें।
3. रोपण
- सूखे या अधिक बारिश के प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए सोयाबीन की प्रत्येक 3/6/9 पंक्तियों के बाद ब्रॉड बेड फ़रो (बीबीएफ) या रिज फ़रो (एफआईआरबीएस) या ओपन फ़रो से सोयाबीन लगाएं ।
- बीज सूचकांक और अंकुरण क्षमता के आधार पर आवश्यक बीज दर लगाऐं ।
- रोपण ज्योमेट्री को बनाए रखें ।
- देर से बुवाई में 1.25 गुना बीज मात्रा का प्रयोग करें ।
- सूखे या अधिक बारिश के प्रतिकूल प्रभाव से बचने के लिए सोयाबीन की प्रत्येक 3/6/9 पंक्तियों के बाद ब्रॉड बेड फ़रो (बीबीएफ) या रिज फ़रो (एफआईआरबीएस) या ओपन फ़रो से सोयाबीन लगाएं ।
- बीज सूचकांक और अंकुरण क्षमता के आधार पर आवश्यक बीज दर लगाऐं ।
- रोपण ज्योमेट्री को बनाए रखें ।
- देर से बुवाई में 1.25 गुना बीज मात्रा का प्रयोग करें ।
4. कीट और रोग प्रबंधन
- हमेशा बचाव के तरीके अपनाएं । उदाहरणार्थ रोगमुक्त बीजों का उपयोग करना, फसल चक्र और अंतरफसल को अपनाना, कीट निवारक मूल्य वाली फसलें (ट्रैप क्रॉप-सुवा) और संक्रमित/रोगग्रस्त सामग्री को तुरंत हटाना हैं ।
- स्वयं नियंत्रण उपायों को अपनाएं । उदाहरणार्थ साधारण हाथ से चुनना, जाल खड़ा करना और मल्चिंग करना ।
- यदि वास्तव में आवश्यक हो तो जैव कीटनाशकों / सिंथेटिक कीटनाशकों का प्रयोग करें ।
- रासायनिक रोटेशन करते रहें ।
- निर्धारित समय सीमा में निराई-गुड़ाई करें ।
- हमेशा बचाव के तरीके अपनाएं । उदाहरणार्थ रोगमुक्त बीजों का उपयोग करना, फसल चक्र और अंतरफसल को अपनाना, कीट निवारक मूल्य वाली फसलें (ट्रैप क्रॉप-सुवा) और संक्रमित/रोगग्रस्त सामग्री को तुरंत हटाना हैं ।
- स्वयं नियंत्रण उपायों को अपनाएं । उदाहरणार्थ साधारण हाथ से चुनना, जाल खड़ा करना और मल्चिंग करना ।
- यदि वास्तव में आवश्यक हो तो जैव कीटनाशकों / सिंथेटिक कीटनाशकों का प्रयोग करें ।
- रासायनिक रोटेशन करते रहें ।
- निर्धारित समय सीमा में निराई-गुड़ाई करें ।
5. कीटनाशकों का उपयोग
- पंजीकृत कीटनाशकों की क्रय और उपयोग करें ।
- तेज हवा और भारी बारिश के दौरान कीटनाशकों का प्रयोग न करें ।
- कीटनाशक के लेबल पर विदहोल्डिंग अवधि (अर्थात कीटनाशक एप्लीकेशन और कटाई के बीच का अंतराल) का सख्ती से पालन करें ।
- कीटनाशकों को उसी कंटेनरों में रखें और उन्हें अच्छी तरह हवादार स्थान पर कसकर बंद करके रखें ।
- अन्य उपयोग के लिए कीटनाशक कंटेनरों का बार-बार उपयोग न करें ।
- सुरक्षात्मक कपड़ों के पूरे सेट के साथ कीटनाशकों का छिड़काव करें ।
- पंजीकृत कीटनाशकों की क्रय और उपयोग करें ।
- तेज हवा और भारी बारिश के दौरान कीटनाशकों का प्रयोग न करें ।
- कीटनाशक के लेबल पर विदहोल्डिंग अवधि (अर्थात कीटनाशक एप्लीकेशन और कटाई के बीच का अंतराल) का सख्ती से पालन करें ।
- कीटनाशकों को उसी कंटेनरों में रखें और उन्हें अच्छी तरह हवादार स्थान पर कसकर बंद करके रखें ।
- अन्य उपयोग के लिए कीटनाशक कंटेनरों का बार-बार उपयोग न करें ।
- सुरक्षात्मक कपड़ों के पूरे सेट के साथ कीटनाशकों का छिड़काव करें ।
6. सिंचाई
- सूक्ष्म सिंचाई विधि जैसे ड्रिप या स्प्रिंकलर को अपनाएं।
- आवश्यक अवस्था जैसे अंकुर, फूल का आना और फली के लगने के दौरान लंबे समय तक सूखा रहे तो खेतों की सिंचाई सुबह जल्दी, या देर शाम को या रात में करें ।
- मिट्टी में दरारें पड़ने से पहले सोयाबीन की फसल की सिंचाई करें ।
- पानी के असमान प्रयोग से बचें ।
- सूक्ष्म सिंचाई विधि जैसे ड्रिप या स्प्रिंकलर को अपनाएं।
- आवश्यक अवस्था जैसे अंकुर, फूल का आना और फली के लगने के दौरान लंबे समय तक सूखा रहे तो खेतों की सिंचाई सुबह जल्दी, या देर शाम को या रात में करें ।
- मिट्टी में दरारें पड़ने से पहले सोयाबीन की फसल की सिंचाई करें ।
- पानी के असमान प्रयोग से बचें ।
7. कटाई तथा बाद की कटाई
- फली टूटने से होने वाले नुकसान से बचने के लिए फसल के तैयार होने (परिपक्वता) के सही चरण में कटाई करें ।
- यदि उत्पादन को बीज प्रयोजन के लिए उपयोग की जाती है, तो थ्रेशर के 350 से 400 आरपीएम की गति से सामग्री को थ्रेस करें ।
- यदि उपज को अगले सीजन के लिए बीज के रूप में रखा जाता है, तो बीज को 40 किलो से अधिक की क्षमता वाले बोरियों में ठंडे और सूखे स्थान पर स्टोर करके रखें ।
- कंटेनर, टूल्स, उपकरण, पैकिंग और भंडारण क्षेत्रों को हमेशा साफ सुथरा रखें ।
- फली टूटने से होने वाले नुकसान से बचने के लिए फसल के तैयार होने (परिपक्वता) के सही चरण में कटाई करें ।
- यदि उत्पादन को बीज प्रयोजन के लिए उपयोग की जाती है, तो थ्रेशर के 350 से 400 आरपीएम की गति से सामग्री को थ्रेस करें ।
- यदि उपज को अगले सीजन के लिए बीज के रूप में रखा जाता है, तो बीज को 40 किलो से अधिक की क्षमता वाले बोरियों में ठंडे और सूखे स्थान पर स्टोर करके रखें ।
- कंटेनर, टूल्स, उपकरण, पैकिंग और भंडारण क्षेत्रों को हमेशा साफ सुथरा रखें ।