उडद- रोग एवं कीट प्रबंधन

उडद- रोग एवं कीट प्रबंधन

उड़द की फसल में कीट की रोकथाम

फली छेदक कीट : इस कीट की सूडियां फलियों में छेदकर दानों को खाती है। जिससे उपज को भारी नुकसान होता है।

देखभाल : मोनोक्रोटोफास का एक लीटर प्रति हैक्टेयर की दर से 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें। 

सफेद मक्खी :  यह उड़द फसल का प्रमुख कीट है। जो पीला मोजैक वायरस के वाहक के रूप में कार्य करती है।

देखभाल : ट्रायसजोफॉस 40 ई.सी. का एक लीटर का 500 लीटर पानी में छिडक़ाव करें। इमिडाक्लोप्रिड की 100 मिलीलीटर या 51 इमेथोएट की 25 लीटर मात्रा को 500 लीटर पानी में घोल मिलाकर प्रति हैक्टेयर की दर से छिडक़ाव करें।

अर्ध कुंडलक (सेमी लुपर) : यह मुख्यत: कोमल पत्तियों को खाकर पत्तियों को छलनी कर देता है। 

देखभाल : प्रोफेनोफॉस 50 ई.सी. 1 लीटर का 500 लीटर पानी में घोल बनाकर छिडक़ाव करें। 

एफिड : यह मुलांकूर का रस चूसता है। जिससे पौधों की वृद्धि रुक जाती है। 

देखभाल : क्लोरपाइरीफॉस 20 ई.सी. 500 मिली लीटर 1000 लीटर पानी के घोल में मिलाकर छिडक़ाव करना चाहिए।

उड़द की फसल में रोग और उनकी रोकथाम

पीला मोजेक विषाणु रोग : यह उड़द का सामान्य रोग है और वायरस द्वारा फैलता है। इसका प्रभाव 4-5 सप्ताह बाद ही दिखाई देने लगता है। इस रोग में सबसे पहले पत्तियों पर पीले रंग के धब्बे गोलाकार रूप में दिखाई देने लगते हैं। कुछ ही दिनों में पूरी पत्तियां पीली हो जाती है। अंत में ये पत्तियां सफेद सी होकर सूख जाती है।

उपाय : सफेद मक्खी की रोकथाम से रोग पर नियंत्रण संभव है। उड़द का पीला मोजैक रोग प्रतिरोधी किस्म पंत यू-19, पंत यू-30, यू.जी.218, टी.पी.यू.-4, पंत उड़द-30, बरखा, के.यू.-96-3 की बुवाई करनी चाहिए।

पत्ती मोडऩ रोग : नई पत्तियों पर हरिमाहीनता के रूप में पत्ती की मध्य शिराओं पर दिखाई देते हैं।  इस रोग में पत्तियां मध्य शिराओं के ऊपर की ओर मुड़ जाती है तथा नीचे की पत्तियां अंदर की ओर मुड़ जाती है तथा पत्तियों की वृद्धि रूक जाती है और पौधे मर जाते हैं।

उपाय : यह विषाणु जनित रोग है। जिसका संचरण थ्रीप्स द्वारा होता हैं। थ्रीप्स के लिए ऐसीफेट 75 प्रतिशत एस.पी. या 2 मिली डाईमैथोएट प्रति लीटर के हिसाब से छिडक़ाव करना चाहिए और फसल की बुवाई समय पर करनी चाहिए।

पत्ती धब्बा रोग : यह रोग फफूंद द्वारा फैलता है। इसके लक्षण पत्तियों पर छोटे-छोटे धब्बे के रूप में दिखाई देते हैं। 

उपाय :  कार्बेन्डाजिम 1 किग्रा 1000 लीटर पानी के घोल में मिलाकर स्प्रे करना चाहिए।