प्रमुख कीट एवं रोग और उनका नियंत्रण
गेहूं की फसल में लगने वाले सभी रोग
गेहूं में बीमारियों सुत्रकृमियों तथा हानिकारक कीटों के कारण 5–10 प्रतिशत उपज की हानि होती है और दानों तथा बीजों की गुणवत्ता भी खराब होती है | जिससे लागत तो बढती ही है उत्पादन कम होने से किसानों की आय पर भी फर्क पड़ता है | किसानों को इसलिए बीज उपचार कर एवं रोग प्रतिरोधी किस्मों का प्रयोग ही करना चाहिए | गेहूं की फसल में पर्ण रतुआ / भूरा रतुआ, धारीदार रतुआ या पीला रतुआ, तना रतुआ या काला रतुआ, करनाल बंट खुला कंडुआ या लूज स्मट, पर्ण झुलसा या लीफ ब्लाईट, चूर्णिल आसिता या पौदरी मिल्ड्यू, ध्वज कंड या फ्लैग समट, पहाड़ी बंट या हिल बंट, पाद विगलन या फुट राँट आदि रोग लगते हैं |
खड़ी फसल में बहुत से रोग लगते हैं,जैसे अल्टरनेरिया, गेरुई या रतुआ एवं ब्लाइट का प्रकोप होता है जिससे भारी नुकसान हो जाता है इसमे निम्न प्रकार के रोग और लगते हैं जैसे काली गेरुई, भूरी गेरुई, पीली गेरुई सेंहू, कण्डुआ, स्टाम्प ब्लाच, करनालबंट इसमें मुख्य रूप से झुलसा रोग लगता है पत्तियों पर कुछ पीले भूरे रंग के लिए हुए धब्बे दिखाई देते हैं, ये बाद में किनारे पर कत्थई भूरे रंग के तथा बीच में हल्के भूरे रंग के हो जाते हैं: इनकी रोकथाम के लिए मैन्कोजेब 2 किग्रा० प्रति हैक्टर की दर से या प्रापिकोनाजोल 25 % ई सी. की आधा लीटर मात्रा 1000 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए, इसमे गेरुई या रतुआ मुख्य रूप से लगता है,गेरुई भूरे पीले या काले रंग के, काली गेरुई पत्ती तथा तना दोनों में लगती है इसकी रोकथाम के लिए मैन्कोजेब 2 किग्रा० या जिनेब 25% ई सी. आधा लीटर, 1000 लीटर पानी में घोलकर प्रति हैक्टर छिड़काव करना चाहिए। यदि झुलसा, रतुआ, कर्नाल बंट तीनो रोगों की शंका हो तो प्रोपिकोनाजोल का छिड़काव करना अति आवश्यक है।
प्रमुख कीट
- दीमक : यह एक सामाजिक कीट है तथा कालोनी बनाकर रहते हैं | एक कालोनी में लगभग 90 प्रतिशत श्रमिक, 2-3 प्रतिशत सैनिक, एक रानी व राजा होते हैं | श्रमिक पीलापन लिये हुए सफ़ेद रंग के पंखहीन होते है जो फसलों के क्षति पहुंचाते है | दीमक नियंत्रण से जुडी जानकारी के लिए दी गई लिंक पर देखें |
- गुजिया विविल : यह कीट भूरे मटमैले रंग का होता है जो सुखी जमीन में ढेलें एवं दरारों में रहता है | यह कीट उग रहे पौधों को जमीन की सतह से काटकर हानि पहुंचाता है |
- माहूँ : हरे रंग के शिशु एवं प्रौढ माँहू पत्तियों एवं हरी बालियों से रस चूस कर हानि पहुंचाते है | माहूँ मधुश्राव करते हैं जिस पर काली फफूंद उग आती है जिससे प्रकास संश्लेषण में बाधा उतपन्न होती है |
नियंत्रण के उपाय :
- बुआई से पूर्व दीमक के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. अथवा थायोमेथाक्सम 30 प्रतिशत एफ.एस. की 3 मिली. मात्रा प्रति किग्रा. बीज की दर से बीज को शोधित करना चाहिए |
- ब्यूवेरिया बैसियाना 15 प्रतिशत बायोपेस्टीसाइड (जैव कीटनाशी) की 2.5 किग्रा. प्रति हे. 60-70 किग्रा. गोबर की खाद में मिलाकर हल्के पानी का छीटा देकर 8-10 दिन तक छाया में रखने के उपरान्त बुआई के पूर्व आखिरी जुताई पर भूमि में मिला देने से दीमक सहित भूमि जनित कीटों का नियंत्रण हो जाता है |
- खड़ी फसल में दीमक / गुजिया के नियंत्रण हेतु क्लोरपाइरीफास 20 प्रतिशत ई.सी. 5 ली. प्रति हे. की दर से सिंचाई के पानी के साथ प्रयोग करना चाहिए |
- माहूँ कीट के नियंत्रण हेतु डाइमेथोएट 30 प्रतिशत ई.सी. अथवा आंक्सीडेमेटान-मिथाइल 25 प्रतिशत ई.सी. की 0 ली. मात्रा अथवा थायोमेथाक्सम 25 प्रतिशत डब्लू.जी. 50 ग्राम प्रति हे. लगभग 750 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए | एजाडिरेक्टिन (नीम आयल) 0.15 प्रतिशत ई.सी. 2.5 ली. प्रति हेक्टेयर की दर से प्रयोग किया जा सकता है |
गेहूं के खेत में चूहे का नियंत्रण
खेत का चूहा (फील्ड रैट) मुलायम बालों वाला खेत का चूहा (साफ्ट फर्ड फील्ड रैट) एंव खेत का चूहा (फील्ड माउस) |
नियंत्रण के उपाय :
गेंहूँ की फसल को चूहे बहुत अधिक क्षति पहुंचाते है | चूहे की निगरानी एंव फास्फाइड 80 प्रतिशत से नियंत्रण का साप्ताहिक कार्यक्रम निम्न प्रकार सामूहिक रूप से किया जाए तो अधिक सफलता मिलती है :
- पहला दिन – खेत की निगरानी करें तथा जितने चूहे के बिल हो उसे बंद करते हुए पहचान हेतु लकड़ी के डंडे गाड दे |
- दूसरा दिन – खेत में जाकर बिल की निगरानी करें जो बिल बंद हो वहाँ से गड़े हुए डंडे हटा दें जहाँ पर बिल खुल गये हो वहाँ पर डंडे गड़े रहने दे | खुले बिल में एक भाग सरसों का तेल एंव 48 भाग भुने हुए दाने का बिना जहर का बना हुआ चारा बिल में रखे |
- तीसरा दिन – बिल की पुनः निगरानी करे तथा बिना जहर का बना हुआ चारा पुनः बिल में रखें |
- चौथा दिन – जिंक फास्फाइड 80 प्रतिशत की 1.0 ग्राम. मात्रा को 1.0 ग्राम. सरसों का तेल एंव 48 ग्राम. भुने हुए दाने में बनाये गये जहरीले चारे का प्रयोग करना चाहिए |
- पाँचवा दिन – बिल की निगरानी करे तथा मरे हुए चूहों को जमीन में खोद कर दबा दें |
- छठा दिन – बिल को पुनः बन्द कर दे तथा अगले दिन यदि बिल खुल जाये तो इस साप्ताहिक कार्यक्रम में पुनः अपनायें |
ब्रोमोडियोलोंन 0.0005 प्रतिशत के बने बनाये चारे की 10 ग्राम मात्रा प्रत्येक जिन्दा बिल में रखना चाहिए | इस दवा से चूहा 3-4 बार खाने के बाद मरता है |