भैसों में लगने वाली बीमारियाँ
भैसों में कई तरह की बीमारियाँ देखने को मिलती हैं. जिनकी उचित समय पर देखभाल ना की जाये तो भैंस पालन में अधिक नुक्सान देखने को मिलता है.
गलघोटू रोग
भैसों में गलघोटू रोग संक्रमण के माध्यम से फैलता है. जो मुख्य रूप से बारिश के मौसम दिखाई देता हैं. इसके लगने से पशुपालक को अधिक नुक्सान का सामना करना पड़ता हैं. क्योंकि पशुओं इस रोग के लगने पर पशुओं की मृत्यु बहुत जल्द हो जाती है. इस रोग के लगने से पशुओं को तेज़ बुखार आता है और उनके मुख से लार टपकने लगती है. पशु खाना पीना बंद कर देता है. जिसके कारण जल्द ही पशु की मृत्यु हो जाती है. पशु को इस रोग से बचाने के लिए उचित समय पर उसका टीकाकरण करवा लेना चाहिए. और रोग के लक्ष्ण दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए.
मुंहपका खुरपका
भैंसों में मुंहपका खुरपका रोग काफी खतरनाक रोग है. इस रोग के लगने से पशुओं की बहुत जल्दी मृत्यु हो जाती हैं. इस रोग के लगने पर पशु खाना कम कर देता है. उसको बुखार आने लगता हैं. मुख में छाले बन जाते हैं. कुछ दिनों बाद छाले घाव में बदल जाते हैं. खुरपका रोग बह्दने पर पशु लंगडाकर चलता है. रोग के बढ़ने पर पशु खड़ा होना बंद कर देता है. इसकी रोकथाम के लिए पशु में रोग दिखाई देने के तुरंत बाद उसे चिकित्सक को दिखाना चाहिए. और समय समय पर इसका टीका करण करवाते रहना चाहिए.
पैरों का गलना
भैसों में पैर गलन का रोग गर्म और नमी वाले वातावरण में अधिक देखने को मिलता हैं. यह रोग पशुओं में कीटाणु के माध्यम से फैलता है. इस रोग के कीटाणु पशु के पैरों की त्वचा में चले जाते हैं. जिससे पशुओं के पैर सूजने लगते हैं और उनसे चला नही जाता. इसकी रोकथाम के पशुओं के घाव पर नीला थोथा के घोल को डालना चाहिए.
भैंस पालन के दौरान सावधानियां
- पशुओं को गीली मिट्टी में अधिक समय तक ना रखे. इसके लिए मिट्टी सूखी हुई होनी चाहिए.
- पशुओं में टीकाकरण उचित समय पर करवाते रहना चाहिए.
- पशुओं में रोग दिखाई देने पर तुरंत चिकित्सक को दिखाना चाहिए.
- पशुओं को भोजन उचित मात्रा में देना चाहिए.
- नए पशु को खरीदते वक्त स्वस्थ और अच्छी नस्ल के दुधारू पशु को खरीदना चाहिए.